आंवले का पेड़: हिंदू धर्म में पेड़ों को पवित्र माना जाता है। कुछ विशेष पेड़ ऐसे हैं जिनमें दैवीय शक्तियों का वास माना जाता है। यही कारण है कि व्रत और त्योहारों में देवी-देवताओं की पूजा के साथ वृक्षों की भी पूजा की जाती है।
पुराणों में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी को आंवले के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा है। इस पेड़ के नीचे खाना बनाने और खाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घरेलू परेशानियां दूर होती हैं। आइए जानते हैं आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा का महत्व और इस दिन क्या करें।

अक्षय नवमी कब है?
अक्षय नवमी 10 नवंबर 2024 को है. विष्णु पुराण के अनुसार, जो कोई भी इस दिन धूप, दीप और प्रसाद के साथ आंवले के पेड़ की पूजा करता है, उस पर हमेशा देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। सबसे पहले माता लक्ष्मीजी ने अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे अपने स्वामी भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की। तभी से यह व्रत लोकप्रिय हो गया। पुराणों में कहा गया है कि इस दिन किया गया पुण्य कार्य कभी समाप्त नहीं होता।
आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने से लाभ |
आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे विभिन्न प्रकार के भोजन बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाएं और फिर भोजन करें। ऐसा माना जाता है कि इससे हमारे शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। हमारे शरीर के रोग दूर हो जाते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति आंवले के पेड़ की छाया में भोजन बनाकर ब्राह्मण को खिलाए और स्वयं भी खाए तो उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है। मानसिक तनाव से राहत मिलती है. इससे व्यक्ति को निरंतर सौभाग्य, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है।
आंवले के फल का सेवन करने से व्यक्ति नारायण के समान हो जाता है अर्थात उसमें पूर्ण दिव्य गुण आ जाते हैं। जो लोग इसका सेवन करते हैं उन्हें न सिर्फ भगवान का आशीर्वाद मिलता है बल्कि यह सबसे स्वास्थ्यप्रद और जीवनवर्धक फल भी है।