
भाई दूज 2024: दिवाली के बाद भाई बीजा का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाई बीजा त्योहार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। ज्योतिषी और मशहूर टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि भाई बीजा का त्योहार इस बार 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा।
इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। भाई बीजा के दिन बहनें अपने भाइयों को घर बुलाकर खाना खिलाती हैं और उनका तिलक कर लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनके सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं। भाई बीजा त्यौहार को भाई दूज, भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया जैसे कई नामों से जाना जाता है। इसे यम द्वितीया, भाऊ बीज, भातृ द्वितीया आदि नामों से जाना जाता है। इस साल भाई बीजा उत्सव 3 नवंबर को है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को घर बुलाकर उनके सिर पर तिलक लगाती हैं और खाना खिलाती हैं। बदले में भाई बहनों को उपहार देते हैं।
पांच दिवसीय दिवाली उत्सव भाई बीजा के साथ समाप्त होता है। भाई बीजा त्यौहार बहन और भाई के प्रति विश्वास और प्यार के बारे में है। हर साल भाई बीजा का त्योहार कार्तक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। भाई बीजा उत्सव को देशभर में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। यह दिन भाई-बहन के बीच प्यार और स्नेह के बंधन का प्रतीक है।
भाई बीज
कार्तक मास की द्वितीया तिथि 2 नवंबर को रात 8:22 बजे शुरू होगी और कार्तक द्वितीया तिथि 3 नवंबर को रात 10:06 बजे तक रहेगी। ऐसे में भाई बीजा का त्योहार उदयातिथि के अनुसार 3 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा। इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। इसलिए, भाई बीजा के दिन पूजा का सबसे अच्छा समय 11:45 मिनट होगा।
भाई बीजा पूजा अनुष्ठान
भाई बीजा की शाम को भाई-बहनों को भाई बीजा की शाम को यमराज चित्रगुप्त और यम देवताओं की पूजा करनी चाहिए और प्रत्येक को अर्घ्य देना चाहिए। बहनों को यम की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए और भाइयों की लंबी उम्र की प्रार्थना करनी चाहिए। इसके बाद बहन को अपने भाई को भोजन कराना चाहिए और तिलक लगाना चाहिए। इसके बाद भाई को बहन को अपनी इच्छानुसार उपहार देना चाहिए। इस दिन अगर सभी बहनें अपने भाई को अपने हाथों से खाना खिलाएं तो उसकी उम्र बढ़ती है। साथ ही उसके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
यमुना और यमराज की पूजा का महत्व
प्रचलित कथाओं के अनुसार, एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए धरती पर आए। उस दिन काॢतक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया है। अपने भाई को आता देख यमुना ने उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाकर उनका आदर-सत्कार किया। अपनी बहन के प्यार को देखकर यमराज ने कहा कि जो भी इस दिन यमुना में स्नान करेगा और यम की पूजा करेगा, उसे मृत्यु के बाद यमलोक की यातना नहीं झेलनी पड़ेगी। तभी से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना नदी में स्नान करके यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। स्कंद पुराण में लिखा है कि यमराज को प्रसन्न करने से उपासक की हर मनोकामना पूरी होती है।